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छेड़े इस शेर को है किसीकी इतनी औकात, गर्दिश में घेर लेते हैं गीदड़ भी शेर को।
कुछ लोग हमारी हैसियत पूछने लगे, उनकी शख्सियत बिक जाए इतनी हैसियत है हमारी।
दुश्मन बोला महंगी पड़ेगी तुझे ये दुश्मनी, मैंने बोला सस्ती तो मैं शराब भी नहीं पीता।
खुद से ही जीतने की ज़िद है खुद को ही हराना है, मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की मेरे अंदर एक ज़माना है।
पनी औकात में रहना सिख लो क्युकि जो हमारी आँखों में खटकती है, शमशान अक्सर वही पहुंचती है।
भीड़ में खड़ा होना पंसद नही मुझे, भीड़ जिसके लिए खड़ी हो वो बनना है मुझे।
खुद से जीतने की जिद है मुझे खुद को ही हराना है, मैं भीड़ नहीं हूं दुनिया की मेरे अंदर एक जमाना है।
अपनी सहेली के साथ घुमकर क्या एटीट्यूड मार रही है, हमारे साथ घूमकर देख पूरा शहर भाभी जी कह कर बुलायेगा।
खुद से ही जीतने की ज़िद है खुद को ही हराना है, मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की मेरे अंदर एक ज़माना है।
खुसनसीब है वो लोग जिनके घर रिश्ते आते है, वरना हमारे घर तो सिर्फ वारंट ही आते है।
आकपी सोच पर ही निभर करती है, मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी।
ख उठाकर भी न देखूँ जिससे मेरा दिल न मिले, जबरन सबसे हाथ मिलाना मेरे बस की बात नहीं।
हम भी लगाव रखते है, पर बोलते नहीं. क्योंकि हम रिश्ते तुम्हारी तरह तौलते नहीं।
खून मे ऊबाल वो आज भी खानदानी है, दुनिया हमारे शौक की नहीं हमारे तेवर की दिवानी है।
माना के इस ज़मीं को गुलज़ार न कर सके, कुछ खार कम तो कर गए गुजरे जिधर से हम।
प्यार आज भी तुझ से उतना ही है बस, तुझे एहसास नही और हमने जताना भी छोड़ दिया।
लड़की एक तितली की तरह होती है, देखने मे सुंदर लेकिन पकड़ना मुश्किल।
ये मत समझ कि तेरे काबिल नहीं हैं हम, तड़प रहे हैं वो जिसे हासिल नहीं हैं हम।
सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी, हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर हैं।
मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि, मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का।
हम आज भी शतरंज़ का खेल अकेले ही खेलते हैं, क्यूंकि दोस्तों के खिलाफ चाल चलना हमे आता नही।
मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि, मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का।
हम दुश्मनों को भी बड़ी शानदार सज़ा देते हैं, हाथ नहीं उठाते बस नज़रों से गिरा देते हैं।
अगर मै छोड़ दूँ अपनी पागलपंथी तो फिर, उनका क्या होगा जिन्हें मेरे पागलपन से प्यार है।
रेस वो लोग लगाते है जिसे अपनी किसमत आजमानी हो, हम तो वो खिलाडी है अपनी किसमत के साथ खेलते है।
मुझे एक ने पूछा कहा रहते हो मैंने कहा औकात मे, साले ने फिर पूछा कब तक मैंने कहा सामने वाला रहे तब तक।
हैसियत तो इतनी हैं की, जब आंख उठाते हैं तो नवाब भी सलाम ठोकते है।
तू मुझे मिल जाये अब इतनी छोटी सोच नहीं मेरी, और मैं तुझे मिल जाऊं इतनी तगड़ी एप्रोच नहीं तेरी।
जो खानदानी रईस हैं वो रखते हैं मिजाज़ नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है।
हमारे इश्क ने मशहूर कर दिया तुझे ऐ बेवफा, नहीं तो तू सुर्खियों में रहे, इतनी औकात नहीं।
हम से उलझने से पहले हमारा इतिहास जान लेना, सीधा चेहरा इतिहास गहरा।
दहशत गोली से नही दिमाग से होती है, और दिमाग तो हमारा बचपन से ही खराब है।
हमें आता नहीं फन सर झुका के बात करना हम हक की बात पर गर्दन कटा देने का जिगर रखते है।
आकपी सोच पर ही निभर करती है, मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी।
तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है।
याद रहेगा हमेंशा यह दर्दे हयात हमको भी, कि क्या खूब तरसे थे ज़िन्दगी में एक शख्स की खातिर।
वो मेरी न हुई तो ईसमेँ हैरत की कोई बात नहीँ, क्योँकि शेर से दिल लगाये बकरी की ईतनी औकात नही।
नजरे झुका कर बात कर पगली जितने कपड़े है, तेरे पास उतने तो मै रोज लफड़े मे फाड़ देता हु।
हम किसी का भी कर्ज़ नही रखा करते हैं, एक सुनते है और दो सुना दिया करते हैं।
कटता है तो कट जाये सारा जीवन संघर्ष में, कदम कदम पर समझौता हमारे बस की बात नहीं।
स्टाइल तो मैं शौक के लिये करता हूं वरना जमाने के लिये तो, मेरी नशीली आँखें ही काफी हैं।